Posts

Showing posts from September, 2020

मौन

  तू   मौन   रह   तू   मौन   रह ,  तू   मौन   रह   तू   मौन   रह ... मौन   का   ये   अर्थ   है   कि   शब्द   सारे   व्यर्थ   हैं , वेद   सारे   लील   जाए ,  मौन   यूँ   समर्थ   है। चीख़   चीख़   शब्द   उड़ें ,  शांत   स्मित   मौन   है , मौन   की   ही   मार   से   शब्द   सब   स्तब्ध   हैं। शब्द   सीमित   हैं   मगर ,  मौन   तो   विस्तार   है , श्रम   ही   श्रम   है   शब्द   में ,  मौन   में   विश्राम   है। मौन   में   ही   शक्ति   है ,  मौन   में   ही   भक्ति   है , ध्यान   में   भी   मौन   है ,  मौन   में   विरक्ति   है। प्रेम   और   करुणा   के   भाव   सारे   मौन   हैं , शांत   रह   तू   मौन   रह ,  शोर   में   आसक्ति   है। क्रोध   में   तो   शोर   है ,  विध्वंस   में   भी   शोर   है , मन   के   विष   में   शोर   है ,  तृष्णा   में   भी   शोर   है , लालसा   में   शोर - शोर ,  वासना   में   शोर   है , डमरू   डोले   शिव   का   तो   तांडव   में   शोर   है , खुल   गया   त्रिनेत्र   तो   संहार   में   भी   शोर   है। गूढ़   जितने   तत्व   हैं ,  सब   के   सब   वो   मौन   हैं , चीखता   है   दर्