अंत्येष्टि – एक लघु उपन्यास
धन्यवाद! सर्वप्रथम, मैं अपने जीवन की उन समस्त विषम परिस्थितियों को, विशेषतः विगत ढाई-तीन वर्षों के मृत्यु-तुल्य कष्ट प्रदान करने वाले घटनाक्रमों को धन्यवाद करता हूँ जिन्होंने भाग्यवश या दुर्भाग्यवश, जो भी कह लें, मुझे इतना समय प्रदान किया कि मैं कुछ क्षण ठहर कर अपने अतीत पर दृष्टिपात कर सकूँ। इस ठहराव, इस अवलोकन ने जीवन के प्रति मेरे दृष्टिकोणों को एक अलग ही आयाम दिया और मेरी भावनाओं को उद्वेलित और आंदोलित किया। अगले चरण का धन्यवाद अवश्य ही मेरी योग्य पुत्री “आकांक्षा” को जाता है जिसके ज़िद, आत्मीय मनुहार, और दृढ़ विश्वास ने मुझे अपनी उन बाधित, असंतुलित किंतु बाहर आ सकने को बेचैन भावनाओं को लिपिबद्ध करने को प्रेरित किया। किंतु, यक्षप्रश्न तो यह था कि यह सब तभी सम्भव हो पता जब मैं जीवित रहता। मेरी प्राणप्रिय धर्मपत्नी “शोभा” के अथक प्रयासों और कभी न झुकने वाले आत्मबल ने मुझे बार-बार यमराज के हाथों से ठीक उसी प्रकार मुक्त करवाया है जैसे सावित्री ने सत्यवान के प्राण वापस पाए थे। विशेषतः COVID-19 और लॉकडाउन जैसी विषम परिस्थितियों में जब कोई पारिवारिक सहायता भी उपलब्ध हो