पहचान
दिल एक दूजे को जान लेते हैं
इश्क़ में, सुना था मगर,
सफर ख़त्म होने को आया,
पहचान अब भी रह ही गयी।
जन्मों जन्मों के रिश्ते होते हैं
इश्क़ में, सुना था मगर,
हाथों में हाथ लिए चल सकें,
ये ख़्वाहिश अब भी रह ही गयी।
चेहरे पढ़ने का इल्म होता है
इश्क़ में, सुना था मगर,
रात गुजरे आँखों आँखों में,
ये कसर अब भी रह ही गयी।
जुदाई कभी जज्ब नहीं होती
इश्क़ में, सुना था मगर,
दूरियाँ कम करते करते,
ये ज़िंदगी फिर भी गुज़र गयी।
वो कुछ ना कहें, मालूम है
इश्क़ में, मज़बूर हैं, मगर,
हमने तो पढ़ ही लिया,
जो उनके दिल पे गुज़र गयी।
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