आक्षेप
विकास से विकृति या,
पूर्व निर्धारित पथ प्रवृत्ति?
भाग्य में धूल या,
अंतर्मन में चुभा शूल?
कभी आकांक्षाओं का मोहक नृत्य,
किंतु मृत्यु का आक्षेप,
और जीवन-नाट्य का पटाक्षेप।
भावनाओं की अभिव्यक्ति या,
विचारों की विक्षिप्ति?
मनोवृत्तियाँ, कुछ भूल,
या अपराधों का मूल?
कभी कामनाओं का कृत्य,
किंतु समाज का आक्षेप,
और जीवन-नाट्य का पटाक्षेप।
बंधनों में आकृति या,
स्वयं से विरक्ति?
प्रेम एक फूल या,
सार्थकता का मूल?
कभी आसक्ति ही सत्य,
किंतु विवशताओं का आक्षेप,
और जीवन-नाट्य का पटाक्षेप।
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