जी चाहता है...

 

जी चाहता है...

कोई कविता बन जाओ तुम,

मन के भावों से निकल कर

शब्दों के पंख लगाकर 

काग़ज़ पे उतर आओ तुम।


जी चाहता है...

कोई गीत रचाओ तुम,

दिल के सागर में समा जाओ तुम,

सुंदर भावों से सजी-सँवरी

मेरे अधरों पे उतर आओ तुम।


जी चाहता है...

नन्ही सी परी बन जाओ तुम,

मेरी आग़ोश में समा जाओ तुम,

मेरे जलते चितवन को,

अपने आँचल से झल जाओ तुम।


जी चाहता है...

सुंदर सी घटा बन जाओ तुम,

दिल के आकाश पे छा जाओ तुम

मेरे घर के आँगन में

छम-छम के बरस जाओ तुम।



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